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गुरुवार, 3 जून 2010

सच छापने का खामियाजा भुगत रहे पत्रकार

उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती  कहती है की उत्तरप्रदेश में कानून का राज कायम है जबकि उत्तरप्रदेश में पुलिस पूरी तरह निरंकुश हो गयी है. इसका जीता जागता उदाहरण है प्रदेश के संतरविदास नगर भदोही जनपद के सुरियावां थाना क्षेत्र का जहाँ पुलिस के खिलाफ निर्भीक होकर सच  छापने का खामियाजा दो पत्रकार भुगत रहे हैं. पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ दिखाकर पत्रकारों के परिजनों को झूठे मुकदमे  में फंसा दिया .
अमर उजाला के पत्रकार अशोक कुमार सिंह व दैनिक जागरण के पत्रकार कृस्नानंद उपाध्याय विगत २० वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हैं. गत दिनों जब सुरियावां थाने का कार्यभार एस ओ सुनील कुमार सिंह  ने संभाला तो क्षेत्र में अपराधो की बढ़ आ गयी जिसे दोनों पत्रकारों ने बेबाक होकर लिखना शुरू कर दिया, इस बात को लेकर एस ओ ने कई बार दोनों पत्रकारों को धमकियाँ भी दी किन्तु दोनों ने अपनी बेबाक लेखनी से समझौता नहीं किया, लिहाजा एस ओ  ने उन्हें परिवार सहित बर्बाद करने की धमकी तक  दे डाली.
थानाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह व अन्य पुलिस कर्मियों ने भिखारी राम पुर निवासी शिवनाथ यादव के दरवाजे से दो वाहन बोलेरो व इंडिका २२/०५/२०१० को सुबह ६ बजे जबरदस्ती उठा  लाये  [ जिसका हलफनामा शिवनाथ ने डीएम को भी दिया है] उससे पहले एस ओ ने जौनपुर  के एक अपराधी अनवर को भी थाने में बिठा रखा था. तत्पश्चात २३/०५/२०१० को शाम सवा सात बजे फर्जी मुठभेड़ दिखाया की अपराधी पुलिस पर फायरिंग करते हुए भाग निकले, इसमें अशोक कुमार सिंह के पुत्र आशीष कुमार सिंह व कृस्नानंद के भतीजे चन्दन उपाध्याय को फरार दिखाकर फर्जी मुकदमे में फंसा दिया गया, पुलिस ने इन दोनों के खिलाफ भी अपराध संख्या ९९/१० धरा ४१९/४२०/५०६  व अपराध संख्या १००/१० धारा १४७/१४८/१४९/३०७ लिख लिया. जबकि आशीष २० मई से     २५ मई तक अस्पताल में भर्ती था वही चन्दन बाहर अध्ययनरत था. इस मामले को द्वय  पत्रकारों ने प्रमुख सचिव, मानवाधिकार सहित अन्य जगहों पर पत्र भेजा है.

घटना को लेकर पत्रकारों में रोष, न्यायिक जाँच की मांग 
पत्रकारों के परिजनों के खिलाफ हुए फर्जी मुकदमे को लेकर पूर्वांचल प्रेस क्लब की बैठक गुरुवार ३ मई को स्टेशन रोड स्थित क्लब के कार्यालय में हुयी जहाँ घटना को लेकर पत्रकारों ने रोष जताया, कहा की यदि घटना की न्यायिक जाँच नहीं की गयी तो पत्रकार सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे, इस दौरान प्रेस क्लब के अध्यक्ष हरीन्द्रनाथ उपाध्याय, महासचिव साजिद अली अंसारी, हरीश सिंह, गोपीनाथ तिवारी, राधेमोहन श्रीवास्तव, बालगोविन्द यादव, वाजिद अली अली अंसारी,शमशाद हसन, संजय कुमार, पंकज उपाध्याय, नागेन्द्र सिंह, रिजवान सिद्दीकी, कैसर परवेज़ सहित अन्य लोग मौजूद रहे.
इसी मामले को लेकर प्रेस क्लब भदोही की बैठक मिथिलेश द्विवेदी की अध्यक्षता में गोपीगंज में हुयी जहाँ घटना की निंदा करते हुए न्यायिक जाँच की मांग की गयी, बैठक में तमाम लोग मौजूद रहे.

1 टिप्पणी:

Sharif Khan ने कहा…

जो लोग सत्ता पर काबिज़ हैं उनमें चूंकि अच्छी खासी तादाद अपराधी प्रष्ठभूमि से सम्बंधित हैं इसलिए पुलिस के खिलाफ चाह कर भी वह कुछ नहीं कर सकते क्योंकि सत्ता जाने के बाद पुलिस से बनाये सम्बन्ध ही उनके काम आएंगे. लिहाज़ा पुलिस का निरंकुश होना लाज़मी है. अब पुलिस की ऐसी छवि है की अगर सूरज की रौशनी में कोई पुलिस वाला यह कहे की दिन निकल रहा है तो जब तक कोई सज्जन पुरुष समर्थन न दे तब तक यकीन नहीं किया जा सकता. पत्रकार बन्धु निर्भीकता और निष्पक्षता के साथ सच को सामने लाकर जो कारनामा अंजाम दे रहे हैं उसी को असत्य के खिलाफ जिहाद कहते हैं.